*आज छठी की छटा निराली (गीत)*
आज छठी की छटा निराली (गीत)
आज छठी की छटा निराली, सौ-सौ बार बधाई
(1)
खुलने लगी ऑंख कुछ, पुतली थोड़ी-सी चलती है
जम्हाई आती है चौड़ी, नहीं तनिक खलती है
दोनों हाथ उठा कर देखो, ली सुंदर ॲंगड़ाई
(2)
कभी-कभी मुस्कान अकारण, मुखड़े पर आ जाती
दादी गले लगाती हैं तो, फिर डकार ले पाती
लाड-लड़ाने बुआ दौड़ कर, भागी-भागी आई
(3)
कभी लिटातीं और पालना, हौले से झुलवातीं
नानी ढेरों बातें करतीं, बिल्कुल नहीं अघातीं
जुड़ा सभी परिवार हर्ष से, मॉं धीरे मुस्काई
आज छठी की छटा निराली, सौ-सौ बार बधाई
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451