आज के गीत
~~~~~~कुण्डलिया छंद~~~~~~
सुनते राम भजन सभी,,,हो जाते हैं बोर
चिकनि-चमेली धून पे, होते भावविभोर।
होते भावविभोर,,,,सभी को नाच-नचाते
होता है हुड़दंग,,,,,,,जोर से साँग बजाते।
कह महंत कविराय,,,,,,गीत बेढंगे चुनते
बेढब थिरका करें,,,साँग जब ऐसे बजते।।
“साँग” – रिमिक्स गाने के लिए प्रयोग
बी0 आर0 महंत