आज के कवि:दो टूक
आज के कवि:दो टूक
आज के ज्यादातर कवियों में मानसिक संकीर्णता है,,इनकी वास्तविक कवित्त चेतना जागृत ही नहीं हो पा रही है क्योंकि इनके विचारों में उदारक तत्वों की कमी है।
काव्य क्या है?
काव्य एक आत्मिक साधना है । जो अपने अतंश के चेतनाओं के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
और काव्य साधना का उद्देश्य आत्मिक सुख है भौतिक सुख नहीं।
प्रश्न कवित्त चेतना क्या है?
कवित्त चेतना को साधारण रूप से मन की आंख कह सकते हैं,,यह वही आंख है जिससे किसी भी मृत दृश्य को जीवंत रूप में देखने की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है।
इस चेतना के सुसुप्त रहते हुए ,आप कविता लिख तो सकते हैं लेकिन कवि/कवियत्री नहीं बन सकते।
प्रश्न कवित्त चेतना के मूल
कवि होना एक साधना है ,तो यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि कवित्त चेतना का आधार कहीं न कहीं अध्यात्म से जुड़ा हुआ है। और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि आप किसी भी कवि को देख लें पढ़ लें तो ,उनके अंतर्मन में कहीं न कहीं अध्यात्म की धारा प्रवाहमय होती है।
जो कवि आध्यात्मिक नहीं होते हैं,, उन्हें क्या कहा जाए?
जो कवि आध्यात्मिक नहीं होते हैं उन्हें चारण माना जाएगा कवि नहीं,,और चारण काव्य को भौतिक सुख मानते हैं आत्मिक सुख नहीं।
©®दीपक झा “रुद्रा”