# आज की मेरी परिकल्पना
# आज की मेरी परिकल्पना
कोई भी बात जब बोलें ,तो उसको तौलकर सौचें !
लिखा हो आम जब कोई ,तो इमली की बात न बोलें !!
जो कोई बात लिखता है ,उसे पढ़कर मनन कीजिये !
हिदायत कुछ भी देनी हो , मेसेन्जर को चयन कीजिये !!
बिगड़ जातीं हैं सब बातें ,जब कुछ और ही लिखते !
करें हम क्या भला बोलो ,जब कुछ और ही कहते !!
@ डॉ लक्ष्मण झा परिमल