आज की पंक्तिजन्म जन्म का साथ
आज की पंक्तिजन्म जन्म का साथ
तन्हाई और गम से मेरा जन्म जन्म का साथ….।
लेकिन ना रुका मैं ना थमा मैं
अविरल और निरन्तर चला मैं…।
गिरा मैं लेकिन उठा मैंऔर फिर संभलकर चला मैं सफलता और असफलता के इस दौर मै घुट- घुट कर जिया मैं। लेकिन ना रुका मैं ना थका मैंअविरल निरन्तर चला मैं आशाओं ने भी साथ छोडा तो निराशाओं के साथ भी जिया मैं लेकिन कठिनाई के उस दौर मैं कभी निरुत्तर नही हुआ मैं आगे बढने के इस प्रयास मैं हमेशा पीछे चला मैं प्रयास अभी जारी है ये जंग अभी ना हारी है।
जिन्दगी मैं गम और तन्हायी का जन्म जन्म का साथ है फिर भी जिन्दगी तो वेदाग है लेकिन कर्मफल में दाग है।
कार्तिक शर्मा नितिन