आज की दोस्ती
रूलाते फिर हसने की बात करते हो
भाई सचिन तुम भी कमाल करते हो
कभी कहते दोस्ती हम तुझसे ही निभायेंगे
फिर कहते एक नहीं कईएक दोस्त बनाएंगे
मैं क्या समझूँ तुम्हारे बातों का सार क्या है
चलो इतना तो बतादो ऐं संगदिल सनम
हमारे इस दोस्ती के संबद्घ तुम्हारे ख्यालात क्या हैं?
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तुम दोस्त अच्छे और दिल के सच्चे हो
पर एक बात मानो सचिन अभी इस सय में कच्चे हो
तुम्हारी दोस्ती अभी मिसाल के मुतालिक नहीं
इसीलिए मेरे यार तुम अभी दोस्ती के काबिल नहीं
मेरी बात मानो तुम दोस्ती के नजमे छोड
प्यार के कुछ नगमे गुंनगुनाओ
कईएक दोस्त बनाने से बेहतर एक प्रेमिका बनाओ.!!
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन