आज की उपज
मुझे लोग अनेक नामों से बुलाते हैं ,जब मुझे लगता है कि कोई मुझे पुकार रहा है तो मैं अवश्य ही उसकी पुकार सुनाता हूँ , कुछ प्रेम से बुलाते हैं, कुछ घृणा से, कुछ हास्य के लिए, कुछ डर से, कुछ मुझसे कुछ सीखने के लिए, कुछ सीखने के लिए, मोहब्बत करने वालों ने अलग-अलग नाम दे रखा है, नफरत वालों ने अलग; इसीलिए तो मैं थोड़ा अलग रहता हूँ , कभी क्रोध में तो कभी अत्यंत खुश।
ख़ुशी वाले दिन सबको खुश करता हूँ और क्रोध वाले दिमाग को शांत रखने की कोशिश करता और आत्मनियंत्रण, आत्मसंयम तो बहुत आवश्यक होता है इन कठिन परिस्थितियों में अपने आपको ढालना कितना कठिन होता है।
_______________________________________:- प्रताप