घाव मरहम से छिपाए जाते है,
सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष।
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
मैं चल पड़ा हूं कहीं.. एकांत की तलाश में...!!
मैं चंद्रमा को सूर्योदय से पूर्व सूर्यास्त के बाद देखता हूं
*आओ बैठो कुछ ध्यान करो, परमेश्वर की सब माया है (राधेश्यामी छ
- होली के रंग अपनो के रंग -
जो सारे दुखों को हर लें भी भगवान महादेव हर है ।
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
अहसास से नम नहीं करतीं रिश्तों की मुलायिमत
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023 मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
कर्म पथ
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
भीतर तू निहारा कर
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
गीत- न देखूँ तो मुझे देखे
पुरुष जितने जोर से "हँस" सकता है उतने जोर से "रो" नहीं सकता