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16 May 2023 · 1 min read

आज का मीडिया

आज का मीडिया

मीडिया जागरूक है और हर पल जगा है,
अपने आकाओं की ख़िदमत में दिनरात लगा है।

मीडिया बाख़बर है कंगना मुंबई पहुँची,
पर बेख़बर है कि जीडीपी कहाँ पहुँची।

मीडिया बाख़बर है कि रिया जेल पहुँची,
पर बेख़बर है कि बेरोज़गारी कहाँ पहुँची।

हर पल लगा है इनकी ख़बर से अवगत कराने,
पर देश की जीडीपी कहाँ पहुँची रब जाने।

समस्याओं के बारे में नहीं एक भी हर्फ़,
पीठ किए बैठा है मीडिया उस तरफ़।

लोकतांत्रिक संस्थाओं ने भी अपना वजूद खो दिया,
मीडिया की राज भक्ति देख दिल जार जार रो दिया।

अर्थव्यवस्था कहाँ पहुँची इसकी तो खबर नहीं,
पर देश सुरक्षित है इसे किसी प्रकार का डर नहीं।

भाट-चारणों का रोल मीडिया बखूबी निभा रहा है,
अब तो उठते बैठते आकाओं के ही गुण गा रहा है,

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