आज का प्यासा कौआ
आज का प्यासा कौआ — ‘मां, बहुत गर्मी है, प्यास लग रही है, कहीं पानी नहीं मिल रहा, कोसों दूर तक उड़ कर आया हूं’ कौआ अपनी मां से बोला। ‘हां बेटा, पहले तो तालाब, नदियां, बावड़ियां और झीलें होती थीं जिससे हमारा सारा कुनबा अपनी प्यास बुझा लेता था पर अब तो सब कुछ सूखता जा रहा है। पहले हमारे पुरखे साफ पानी पीते थे पर आजकल तो गंदला जल पीने को मिलता है। क्या करें, ज़माना ही बदल गया है’ मां बोली।
‘कैसा भी हो, प्यास के मारे दम निकला जा रहा है, कोई उपाय तो बताओ’ कौआ परेशान था। ‘हां बेटा, हमारे एक पुरखे की याद आ गई है जिसने अपनी बुद्धिमत्ता से अपनी प्यास बुझाई थी। तुम भी वह उपाय कर सकते हो’ मां ने सुझाया। ‘जल्दी बताओ मां’ प्यास के मारे कौअे के प्राण सूखे जा रहे थे। ‘तुम यहां से आधा मील की दूरी पर एक बागीचे में जाओ, वहां पर कुछ दयालु लोगों ने यात्रियों की प्यास बुझाने के लिए एक बड़े बरगद के नीचे मिट्टी के घड़े रखे हैं, उसमें तुम्हें पानी मिल सकता है और सुनो ….’ मां की बात पूरी होने से पहले ही कौआ उड़ गया किन्तु कुछ देर बाद निराश होकर लौटा।
‘मां, उन घड़ों में तो जल ही नहीं है’ कौआ निराशा से बोला। ‘तुमने मेरी पूरी बात नहीं सुनी, उन मटकों में कभी कभी जल भरा जाता है जो समय-समय पर खत्म होता रहता है। तुम्हारे पुरखे के साथ भी यही स्थिति आई थी पर उन्होंने बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए एक घड़े में जिसकी तली पर कुछ जल था उसमें कंकड़ डालने शुरू किए। जैसे जैसे कंकड़ों से घड़ा भरता गया, जल ऊपर आता गया और उन्होंने अपनी प्यास बुझा ली। तो तुम भी इसी तरकीब का अनुसरण करो’ मां ने समझाया। ‘ठीक है मां’ कहकर कौआ फिर उड़ गया।
काफी देर तक जब कौआ नहीं लौटा तो मां को कुछ अनिष्ट की आशंका हुई। वह उड़कर उस बरगद के पेड़ के नज़दीक पहुंची तो वहां का दृश्य देखकर घबरा गई। एक घड़ा पूरा कंकड़ों से भरा पड़ा था पर उसमें जल का नामोनिशान नहीं था तथा कौआ उसके पास बेहोश पड़ा था। ‘लगता है, ये घड़े पूरी तरह सूख चुके हैं’ मां बहुत घबरा गई थी।
इतने में उसने देखा कि कोई दयालु राही अपने झोले में से पानी की बोतल निकाल कर उस कौअे के मुख में डाल रहा है। मुख में जल जाते ही कौअे के प्राण लौट आए। ‘मां, अत्यन्त विकट स्थिति है, जल की कमी से क्या होगा?’ कौअे ने कहा। ‘हां बेटा, मनुष्य अभी संभल नहीं रहा है क्योंकि वह दूर की नहीं सोच पा रहा है। जल बहुत ही कीमती वस्तु हो जायेगा और जब मनुष्य की पहुंच से दूर होगा तो मनुष्य जागेगा’ मां ने समझाया ‘आज तुम्हारे प्राण संकट में पड़ गए थे, जिस दिन मनुष्य के बच्चों के समक्ष यह संकट आयेगा तो उसकी तंद्रा टूटेगी पर लगता है अभी वे दिन दूर हैं, ईश्वर मनुष्य को सद्बुद्धि दे।’