आज का इंसान
इंसान आजकल तो शैतान हो गया है।
कैसे हवस का अंधा, हैवान हो गया है।
कोई बहन और बेटी अब तो नहीं सुरक्षित।
अब जानवर से बदतर इंसान हो गया।
सब संस्कार खोये,कोई नहीं मनुजता।
कोई नहीं मर्यादा,कुछ मूल्य न समझता।
संस्कृति सभ्यता सब,
हर चीज खो चुकी है।
संबंधों के भंवर में हर व्यक्ति है उलझता।