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29 Jul 2021 · 1 min read

आज के अपने, अपने ही है ना!

वक्त बेवक्त अपनो के लिए मैं चलता रहा,
कभी किसी तो कभी किसी की आंखों में मैं खलता रहा,
ना राह मिली ना मंज़िल मिली,
खुद में ही सपने बुनता रहा।।

दर्द जोखिम ने नही अपनो ने दिया,
सिला जो भी किया बहुत ही खूब है किया,
मैं तो निभाता रहा रिश्ते सभी,
अपनो की थाली में ज़हर है पिया।।

फिर भी चला मैं वक्त बेवक्त अपनो के साथ,
बना के ज़रिया मुझे वो करते रहे ढोंग, दे हाथो में हाथ,
होते हुए भी मैं सबका, सबकी आंखों में खलता रहा,
बुनता रहा मैं सपने अपनो के लिए,
ऒर अकेले मैं जलता रहा।।

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 232 Views
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