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16 Jul 2022 · 1 min read

आज उदास मेरा घर है

दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की नज़र ,,,,!!!

ग़ज़ल
====

आज उदास,, मेरा घर है,
बिखर ना जाऐ, ये डर है।
================

खाली खाली सा लगता,
ना देखूं तो बैचेन नज़र है।
================

हरी भरी थी बगियां मेरी,
बुरी नज़र का, ये असर है।
================

सुनी सुनी सी है राहें मेरी,
जिंदगी का कैसा सफर है।
================

संवार लो जरा, कोई हमे,
सच्चा रहबर कोई अगर है।
================

अपनो के बिन अधुरा ‘जैदि’,
बंद उसके दहलिजो-दर है।
=================

शायर :-“जैदि”
एल.सी.जैदिया “जैदि”

Language: Hindi
206 Views

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