आज उदास मेरा घर है
दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की नज़र ,,,,!!!
ग़ज़ल
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आज उदास,, मेरा घर है,
बिखर ना जाऐ, ये डर है।
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खाली खाली सा लगता,
ना देखूं तो बैचेन नज़र है।
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हरी भरी थी बगियां मेरी,
बुरी नज़र का, ये असर है।
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सुनी सुनी सी है राहें मेरी,
जिंदगी का कैसा सफर है।
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संवार लो जरा, कोई हमे,
सच्चा रहबर कोई अगर है।
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अपनो के बिन अधुरा ‘जैदि’,
बंद उसके दहलिजो-दर है।
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शायर :-“जैदि”
एल.सी.जैदिया “जैदि”