आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
कल अचानक जाएगें
पुरानी यादों के महल ये
यह फिर बेगाने हो जाएगे
मेरे नहीं रहने से अब
घर भी मायूस हो जाएगें
आंगन भी खाली-खाली से
गाँव भी खंडर हो जाएगें
कवि~ जितेन्द्र कुमार सरकार
आज अचानक आये थे
कल अचानक जाएगें
पुरानी यादों के महल ये
यह फिर बेगाने हो जाएगे
मेरे नहीं रहने से अब
घर भी मायूस हो जाएगें
आंगन भी खाली-खाली से
गाँव भी खंडर हो जाएगें
कवि~ जितेन्द्र कुमार सरकार