Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2021 · 1 min read

आजु के जमाना

बर औ कनिया नाचे, बात सुनी सांचे – सांचे,
लाज हाया माटी मिले, चूल्हिये जोरात बा।

भवे सङ्गे भसुर खास, ससुई न आवे रास,
लाज के जनाजा उठल, चीता में खोरात बा।

दुध घी दूर भइल, दही उफर पर गइल,
रम कोकाकोला सङ्गे, कइसे घोरात बा।

बेटी जाके राज करे, बहु चुल्हिये मे़ जरे
मन के भरम इहे, मुंह निपोरात बा।।

✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’

1 Like · 352 Views

You may also like these posts

🙅विषम-विधान🙅
🙅विषम-विधान🙅
*प्रणय*
कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए।
कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए।
Kumar Kalhans
Even If I Ever Died
Even If I Ever Died
Manisha Manjari
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
राम और कृष्ण
राम और कृष्ण
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान बता रही है
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान बता रही है
डॉ. एकान्त नेगी
प्रभात वर्णन
प्रभात वर्णन
Godambari Negi
डर - कहानी
डर - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
वोट ज़रुर देना
वोट ज़रुर देना
Shriyansh Gupta
मिथ्या सत्य (कविता)
मिथ्या सत्य (कविता)
Indu Singh
पता नही क्यों लोग चाहत पे मरते हैं।
पता नही क्यों लोग चाहत पे मरते हैं।
इशरत हिदायत ख़ान
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
शेखर सिंह
कई रंग दिखाती है ज़िंदगी हमें,
कई रंग दिखाती है ज़िंदगी हमें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्यारा मित्र
प्यारा मित्र
Rambali Mishra
रंग जिन्दगी का
रंग जिन्दगी का
Ashwini sharma
Beginning of the end
Beginning of the end
Bidyadhar Mantry
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
Ranjeet kumar patre
त क्या है
त क्या है
Mahesh Tiwari 'Ayan'
शोख़ दोहे :
शोख़ दोहे :
sushil sarna
*बातें कुछ लच्छेदार करो, खुश रहो मुस्कुराना सीखो (राधेश्यामी
*बातें कुछ लच्छेदार करो, खुश रहो मुस्कुराना सीखो (राधेश्यामी
Ravi Prakash
डॉ भीमराव अम्बेडकर
डॉ भीमराव अम्बेडकर
डिजेन्द्र कुर्रे
23/210. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/210. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ऐसा वर दो हे वीणावादिनी ©डॉ. अमित कुमार दवे, खड़गदा
ऐसा वर दो हे वीणावादिनी ©डॉ. अमित कुमार दवे, खड़गदा
अमित कुमार दवे
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
Shyam Sundar Subramanian
"आज की रात "
Pushpraj Anant
रूठी नदी
रूठी नदी
Usha Gupta
बेरहमी
बेरहमी
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...