आजाद है सभी इस जहांँ में ,
आजाद है सभी इस जहांँ में ,
पक्षियों की तरह ।
जज्बातों को दबा के,
क्यों रखते हो गुलाम की तरह।
किस्से डरते हो बताने से ,
जज्बात अपने
क्या बुराइयांँ निकालेंगे ,
आपके जज्बातों में वे ।
यहांँ तो फुर्सत ही नहीं,
उन्हीं को जज्बातों से अपने।
…….. योगेंद्र चतुर्वेदी