आजाद हिंदुस्तान में
क्या मिल गया है इंसाफ गरीब को, आजाद हिंदुस्तान में।
क्या मिट गई है नफरत दलित से, आजाद हिंदुस्तान में।।
क्या मिल गया है इंसाफ —————————।।
क्या हो गया है बन्द सितम,औरत और मासूमों पर।
क्या रुक गया है अब अधर्म, मजबूर और यतीमों पर।।
क्या बस गई है बस्ती मजदूरों की, आजाद हिंदुस्तान में।
क्या मिल गया है इंसाफ——————–।।
क्या खत्म हो गया है भ्र्ष्टाचार, व्यभिचार अब यहाँ।
क्या रुक गई है कालाबाजारी, राहजनी अब यहाँ।।
कई नहीं होते हैं अब बलवें, आजाद हिंदुस्तान में।
क्या मिल गया है इंसाफ——————-।।
कर रहे हैं कुछ मौज यहाँ, औरों की मेहनत पर।
बन गए हैं अमीर कुछ यहाँ, ईमान अपना बेचकर।।
कब मिटेगी यह गरीबी, आजाद हिंदुस्तान में।
क्या मिल गया है इंसाफ़——————।।
क्या हो चुका है कायम अमन, क्या हो गई है खत्म मुसीबतें।
क्या मिल गई है यहाँ सबको रोटी, क्या होती नहीं अब बगावतें।।
क्या हो रही है अब सबकी कद्र, आज़ाद हिंदुस्तान में।
क्या मिल गया है इंसाफ——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)