आजादी के गीत
मातृभूमि को शीश झुकाकर, गाओ आजादी के गीत।
राष्ट्र प्रेम के पन्नों पर हो, नव स्वर्णिम अध्याय प्रणीत।
आँखों में आक्रोश भरा हो, हृदय धधकती ज्वाला हो।
रौद्र रूप धारण कर लो, गल नरमुण्डों की माला हो।
सुनों धरा के वीर सपूतों, मन में रख अभिजित विश्वास।
मातृभूमि की शपथ तुम्हें है, रच डालो अविचल इतिहास।।
प्राण प्रतिष्ठित देश-प्रेम को, दिल में अपने कर लो मीत।
मातृभूमि को शीश झुकाकर, गाओ आजादी के गीत।
चढ़कर दुश्मन की छाती पर, नभभेदी हुंकार भरो।
मर्दन करके वीरों उनका, भारत की जयकार करो।
त्राहि-त्राहि रिपु करे युद्ध में, ध्वस्त करो उसका अभिमान।
मन में भर अदम्य साहस को, करो लक्ष्य का तुम संधान।
आजादी के दीवानों से, बंधु निभाना प्रतिपल प्रीत।
मातृभूमि को शीश झुकाकर, गाओ आजादी के गीत।
मन में हों अब्दुल हमीद, राणाप्रताप का भाला हो।
आहुति जिसमें प्राण बने, जीवन ऐसी मखशाला हो।
हठयोगी तुम अपनी धुन के, सदा चमकता रहता भाल।
अरि का शीश उठा हाथों में, रूप धरो तुम अति विकराल।
युद्धभूमि में याद रहे बस, अपना गौरवपूर्ण अतीत।
मातृभूमि को शीश झुकाकर, गाओ आजादी के गीत।
तिलक करो अब माथे पर तुम अक्षत, चंदन, रोली से।
ज़र्रा-ज़र्रा कंपित कर दो, इनकलाब की बोली से।
स्वाभिमान पर आँच न आए, मन में रखना इतना ध्यान।
सदा रहा है, सदा रहेगा, विश्व विजेता हिंदुस्तान।
साहस की तलवार चलाकर, हर रण को तुम लोगे जीत।
मातृभूमि को शीश झुकाकर, गाओ आजादी के गीत।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
कृष्णा श्रीवास्तव
हाटा,कुशीनगर
उत्तर प्रदेश