आजादी /कृपाण घनाक्षरी
आजादी /कृपाण घनाक्षरी
भारत अब आजाद ,धन जन से आबाद,
करलो वो दिन याद ,सत्ता विदेशियों हाथ ।
सपूतों का बलिदान, किये न्योछावर प्रान,
करें सबका सम्मान ,अमर वीरों के साथ ।
बलिदानियों की गाथा ,सुन झुक जाता माथा ,
दुश्मन को ऐसा नाथा,देश भारत सनाथ।।
अब बारी है हमारी,सुरक्षा व रखवारी,
सेवा व समझदारी ,आम जनता के हाथ।
@आपदा
कष्टदायक है सदा,प्राकृतिक जो आपदा,
अनहोनी ही सर्वदा,सूझता नहीं उपाय।
रोग बने महामारी,सूखा बाढ भयकारी,
भू गर्भ की बमबारी,इनसे राम बचाय।
मानवीय गलती से,शोषण व दोहन से,
प्रकृति के विरोध से,मानव ही पछताय ।
आपदा आवे जैसी भी,दुःखी होते जीव सभी,
आपदा न आवे कभी ,हरि प्रार्थना सहाय।
राजेश कौरव सुमित्र