आज़ादी
आज़ादी
आज़ादी का फल तू खा ले ज़रा I
क्रांति की ज्वाला झुलसाकर ,
स्वतंत्रता की जीत मना ले ज़रा I
कितनो की कशिश है रंग लाई ,
काली घटा से घिरी, कश्ती किनारे पहुँचाई I
लहुं बहाकर , संघर्ष करकर ,
इस मुकाम को पाया है I
जन्मसिद्ध अधिकार नहीं ,
न विरासत की माया है ,
यह आज़ादी का झंडा
क़ुरबानी पर चढ़कर लहराया है I
कई सैकड़ों वर्ष बाद ,
हर बच्चा बेझिझक मुस्कुराया है I
हथकंडो का गौरव , सेनानियों ने बढ़ाया है I
उनके नैक इरादों का आसमान उभरकर आया था ,
जिस दिन आज़ादी का झंडा लहराया था II