आज़ादी
आज़ादी
कहाँ मिली आज़ादी हमको, बिना खड्ग बिना ढाल।
आज़ादी की ख़ातिर कुर्बा, हो गये कितने लाल।
बांध कफ़न को सर पे सारे, हाथ को कर हथियार।
कूद पड़े आज़ादी रण में, हो मरने को तैयार।।
सन सत्तावन की ज्वाला धधकी, घर-घर जली मशाल।
आज़ादी की ख़ातिर कुर्बा, हो गये कितने लाल।
मंगल पांडे और आज़ाद, हो गये सब कुर्बान।
भारत माता रोयी कितनी, देख के जाती जान।
वीर जवानों की कुर्बानी, रक्त से धरती लाल।
आज़ादी की ख़ातिर कुर्बा, हो गये कितने लाल।
सुखदेव भगत और राजगुरु, हो गये वीर शहीद।
हँसते-हँसते फाँसी चढ़कर, बन गये इक उम्मीद।
झाँसी की वो लक्ष्मीबाई, लिये खड्ग और ढाल।
आज़ादी की ख़ातिर कुर्बा, हो गये कितने लाल।
जलियांवाला बाग दिखाती, मौत की वो तस्वीर।
ब्रिटिश हुकूमत की गोली से, कैसे मर गये वीर?
बिस्मिल-कुँवर सिंह-सुभाषचंद्र, लाल-बाल और पाल।
आज़ादी की ख़ातिर कुर्बा, हो गये कितने लाल।
गाँधी के आवाहन पर भी, मिट गये वीर सपूत।
देश विभाजन जिन्नावादी, सब हैं अपने कपूत।
बंटवारे की आग में जलकर, भारत हुआ बेहाल।
आज़ादी की ख़ातिर कुर्बा, हो गये कितने लाल।
सुनो हमारे देश के वीरों, रखना तुम यही याद।
सीने पे जब खायी गोली, तब तो हुए आजाद।
कहाँ मिली आज़ादी हमको, बिना खड्ग बिना ढाल।
आज़ादी की ख़ातिर कुर्बा, हो गये कितने लाल।।
©पंकज प्रियम