Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

**आजकल के रिश्ते*

**आजकल के रिश्ते*

खून के रिश्तो को
लोग क्या खूब निभाते हैं
जिनकी परवरिश करते हैं
वही वृद्ध आश्रम पहुँचाते हैं।

हर पल देकर अपना जिनको
अथाह प्यार से पाला उनको
वही बाद में बैरिस्टर बन उड जाते है ।

खून पसीना एक करके
जिनके लिए यह महल बनाएँ
वही महलों को गिरवी रखकर
नई-नई बात बनाते हैं।

छोड़ तुम्हे बुढ़ापे में
दूर कहीं बसेरा कर जाते हैं
कहाँ वह फर्ज बेटे का निभा पाते है।
वारिस वन संपत्ति के
ऐशो-आराम से निर्वाह करते हैं।

याद तो करते हो उनको
पर मिलने को तरस जाते हो
पढ़ा लिखा कर बेटे को
बाबू जब बनाते हो
फिर अपनी ही परवरिश पर
किसी से कुछ ना कह पाते हो।

हरमिंदर कौर, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

2 Likes · 2 Comments · 106 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"समय का मूल्य"
Yogendra Chaturwedi
..
..
*प्रणय*
व्यवहार वह सीढ़ी है जिससे आप मन में भी उतर सकते हैं और मन से
व्यवहार वह सीढ़ी है जिससे आप मन में भी उतर सकते हैं और मन से
Ranjeet kumar patre
"मानुष असुर बन आ गया"
Saransh Singh 'Priyam'
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
15🌸बस तू 🌸
15🌸बस तू 🌸
Mahima shukla
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*ऑंखों के तुम निजी सचिव-से, चश्मा तुम्हें प्रणाम (गीत)*
*ऑंखों के तुम निजी सचिव-से, चश्मा तुम्हें प्रणाम (गीत)*
Ravi Prakash
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अपने सिवा किसी दूजे को अपना ना बनाना साकी,
अपने सिवा किसी दूजे को अपना ना बनाना साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
singh kunwar sarvendra vikram
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मां शारदे वंदना
मां शारदे वंदना
Neeraj Agarwal
"गुजारिश"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
पूर्वार्थ
खत्म न हो सकी कभी
खत्म न हो सकी कभी
Dr fauzia Naseem shad
" रे, पंछी पिंजड़ा में पछताए "
Chunnu Lal Gupta
4914.*पूर्णिका*
4914.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
देखिए लोग धोखा गलत इंसान से खाते हैं
शेखर सिंह
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
दिनकर तुम शांत हो
दिनकर तुम शांत हो
भरत कुमार सोलंकी
आचार्य - डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
आचार्य - डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
Buddha Prakash
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
gurudeenverma198
पटकथा
पटकथा
Mahender Singh
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बरसात
बरसात
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मेरे जीवन में जो कमी है
मेरे जीवन में जो कमी है
Sonam Puneet Dubey
कहे आनंद इस जग में एक ही बात का सार।
कहे आनंद इस जग में एक ही बात का सार।
Rj Anand Prajapati
Loading...