**आजकल के रिश्ते*
**आजकल के रिश्ते*
खून के रिश्तो को
लोग क्या खूब निभाते हैं
जिनकी परवरिश करते हैं
वही वृद्ध आश्रम पहुँचाते हैं।
हर पल देकर अपना जिनको
अथाह प्यार से पाला उनको
वही बाद में बैरिस्टर बन उड जाते है ।
खून पसीना एक करके
जिनके लिए यह महल बनाएँ
वही महलों को गिरवी रखकर
नई-नई बात बनाते हैं।
छोड़ तुम्हे बुढ़ापे में
दूर कहीं बसेरा कर जाते हैं
कहाँ वह फर्ज बेटे का निभा पाते है।
वारिस वन संपत्ति के
ऐशो-आराम से निर्वाह करते हैं।
याद तो करते हो उनको
पर मिलने को तरस जाते हो
पढ़ा लिखा कर बेटे को
बाबू जब बनाते हो
फिर अपनी ही परवरिश पर
किसी से कुछ ना कह पाते हो।
हरमिंदर कौर, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)