आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल
आजकल के परिवारिक माहौल, भीतर का इतना खराब हो रखा है। यह संस्कार मिले ना मिले, पर मानसिक व्यवहारिक तनाव जरूर मिलेगा।
माता-पिता में झगड़े-झंझट, बच्चे में चिंता-तनाव। घर में सुख-शांति नहीं, हर तरफ अशांति का माहौल।
बच्चे को माता-पिता से प्यार नहीं मिलता, तो वह खुद को अकेला महसूस करता है। उसे लगता है कि कोई भी उसकी परवाह नहीं करता, और वह मानसिक रूप से परेशान हो जाता है।
बच्चे को देखकर माता-पिता भी परेशान होते हैं, और वे भी मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। इस तरह परिवार में तनाव का एक चक्र चल पड़ता है, और यह चक्र कभी खत्म नहीं होता।
आजकल के परिवारों में, संस्कारों का महत्व नहीं रह गया है। माता-पिता अपने बच्चों को संस्कार नहीं सिखाते, और बच्चे भी उनसे सीखना नहीं चाहते।
इसका परिणाम यह है कि बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं, और वे आत्महत्या तक कर लेते हैं। आजकल आत्महत्या के मामलों में इजाफा हो रहा है, और इसका मुख्य कारण है परिवार में तनाव।
आजकल के परिवारों को चाहिए कि वे संस्कारों को महत्व दें, और अपने बच्चों को संस्कार सिखाएं।
इससे बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य का विकास होगा,
और वे मानसिक तनाव से दूर रहेंगे।