आजकल ईश्वर ,ठीक मेरे बगल में सोता है…
आजकल ईश्वर ,ठीक मेरे बगल में सोता है…
जिस तरफ भी करवट लूँ, वो उस तरफ होता है…
चुप रहता है…..
मेरी आँखें भी उसे देखते देखते मूँदने लगती हैं..
जैसे ही नींद मेरी पलकों तक आती है
वो एक मुस्कान लिए बोल पड़ता है-
“कहो… कैसी लगी अब तक की कहानी..”
मैं आँखें खोलता हूँ.. और उसकी आँखों में देखता हूं
बहुत कौतूहल है…बेचैनी… और एक अनजाना डर…
मैं चुपचाप यूँ आँखें मूंद लेता हूँ ,जैसे वो नहीं दिखता मुझे….
मैं चाहता हूँ… किसी दिन उसके बगल में सोना
और एक शांत आवाज़ में पूछना…
“कहो… कैसा लगा मेरा अभिनय …”