आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
रोज़ नींद की गोली खाकर सोना पड़ रहा है
जिससे वादा था मेरा कभी न बिछड़ने का
उसे हमेशा के लिए अब खोना पड़ रहा है
जिसको बचपन से जानता था मैं वो न मिल सकीं
मज़बूरन अब किसी अनजान का होना पड़ रहा है
– केशव