“आखिरी खत”
हर रोज क़ी तरह आज फिर मैं रीडिंग रूम के लिए तैयार हो रहा था. बैग में किताबे रखते हुए सोच रहा था ! आज क्या पढू ……? पहले तो परसो वाली किताब के बचे हुए ४ पेज ही पढ़ना है। बैग को अपने मजबूत कंधो पर टांगते हुए रूम से बाहर निकल कर, रास्ते में पग नापते हुए चल रहा था।
थोडा ही चला था। मेरे एक मित्र अपनी बाइक का हॉर्न बजाते हुए, बगल में बाइक खडी कर पूछते है ..रीडिंग रूम जा रहे हो ?..मैंने जबाब दिया हाँ …झट से उन्होंने मुझे अपने साथ चलने का बोल दिया। हम दोनों पुरे रास्ते हंसी मजाक करते, रीडिंग रूम पहुच जाते है।
राहुल ने आगे वाली सीट पर ही बैग रख लिया और मैं अपनी पुरानी सीट क़ी ओर चल दिया। सब पहले से ही अपनी-अपनी सीट पर बैठे पढ़ रहे थे। मुझे लगा जैसे आज में थोड़ा लेट हो गया हूं।
मैं अपनी सीट पर पहुचा, देखा यहाँ आज ख़ाली-ख़ाली क्यों है.? चौक गया..आज तो सोनू भी नही आयी। मैंने सोचा कोई बात नही कल मै भी भोपाल गया था, सोनू को भी कोई काम आ गया होंगा,फिर भी एक फोन तो कर ही देती।
सब किताबे ज्यो क़ी त्यों रखी थी. उनमे से अपनी ४ पेज छोड़ी किताब ढूंढ रहा था पर वो नही मिली. खैर कोई बात नही आज कुछ नया ही पड़ता हूं.!
पढ़ते पढ़ते रोज क़ी तरह झपकी आने लगी, और मैं किताब पर ही सो गया। सोतें हुए बार- बार कंधे से टेकने क़ी आदत भी जैसे लग ही गयी थी पर आज कोई बगल में बैठने वाला नही था, फिर कैसे सोता ……?
लंच का टाइम भी हो गया है सब अपने अपने लंच बॉक्स लेकर बाहर चले गये. राहुल भी अपनी दोस्त के साथ लंच
कर रहा था ..उसको कहा पता था कि… मै अकेला लंच कर रहा हू. मैंने जैसे -तैसे कर दो पराठे तो खा लिए पर अकेले और नही खिलया जा रहा था। मै तो पानी भी कभी नही लाता, सोनू ही बड़ी बॉटल लेकर आती थी सो हम दोनों के लिए इतना पानी पर्याप्त था।
सब लंच कर पढ़ने लगते है। मै भी वाटर कूलर से पानी पीकर लौट ही रहा था कि राहुल मिल गया …..और लंच हो गया ….? पूछता हुआ ! अपनी सीट पर पड़ने बैठ जाता है.
मै भी अपनी सीट पर पढ़ने लगा। जहाँ मैं और सभी स्टूडेंट अपनी उपयोगी किताबे रखते थे, राहुल वही बैठा था। अचानक आवाज आती है लैटर ……ख़त किसी का ख़त …..उसने देखा इस पर तो तुम्हारी सोनू लिखा है। वो दौड़ता मैरे पास आया,और वो ख़त मुझे दे देता है।
मैं उसे खोलता उससे पहले ही मेरी धड़कन तेज तेज चलने लगी।लैटर मै लिखा था …….तुम्हारी प्यारी सोनू ..मै जानती हू क़ी तुम मुझे बहुत प्यार करते हो, पर मै तो बस तुमसे कुछ समय के लिए मिली थी क्योकि तुम बहुत अच्छे और नेक दिल इंसान हो पहले ही दिन तुमने मेरा दिल जीत लिया था। तुम्हें सबसे अकेला पाकर तुम्हारे अकेलेपन को दूर कर रही थी। जिससे तुम पढ़ाई करते हुए दबाब महसूस न करो.
आज से तुम्हारा रास्ता तुम्हें सौप रही हूं।मेरी शुभकामनाये तुम्हारे साथ है और विश्वास है तुम एक दिन अफसर बनकर मेरी अंतिम इच्छा पूरी करोंगे मैं और ज्यादा दिन क़ी मेहमान नही हूं। क्योकि मुझे एक लाइलाज बीमारी मेरे माँ-बापू से बिरासत में मिली थी।मनु तुम अपना ख्याल रखना ये मेरा तुम्हारे लिए आखरी पैगाम और आखरी ख़त है।
अनिल अहिरवार
मध्य प्रदेश