आका बिन मिलता नहीं,प्रतिभा को सम्मान
आका बिन मिलता नहीं,प्रतिभा को सम्मान
कर करके चमचागिरी, जड़मति होत सुजान
जड़मति होत सुजान, बड़ी जब गद्दी पाता
बीते कल को भूल, स्वयं को देव बताता
कहे ‘अर्चना’ बात, खींचता ऐसा खाका
जैसे जग में एक, वही है सब का आका
02-06-2023
डॉ अर्चना गुप्ता