“आकाशदीप” #100 शब्दों की कहानी#
राकेश जो कभी मां के साथ कैंडल लाइट बलून बनाकर बेचता था, पिताजी के जल्दी गुजरने के बाद मां ने कैसे हिम्मत से यह काम शुरू किया, वह भूला नहीं और कहा था,” हर काली-अमावस्या का अंधेरा दूर होते ही सूर्योदय जगमग कंदीलों की रोशनी की तरह नई ऊर्जा से भर देता है” । आज इसी प्रेरणा के कारण वह सोलार-पैनल के जरिए आकाशदीप बनाने की फैक्ट्री का मालिक है, पिताजी के बताए अनुसार नित-नए प्रयोग करते हुए यह मुकाम हासिल किया, ताकि दोस्तों को भी रोजगार मिल सके। उसने कैंडल-लाइट-बलून टिमटिमाते-तारों भरे आसमान में माता-पिता के प्रतीक-रूप में छोड़े।