आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
ज़ख्म-ए-दिल हुआ हुस्न की सोहबत में
उठता नही कोई हाथ,अब दुआ के लिए
जान जोखिम में है इश्क की अदावत में
✍️..पंकज पाण्डेय ‘सावर्ण्य’
आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
ज़ख्म-ए-दिल हुआ हुस्न की सोहबत में
उठता नही कोई हाथ,अब दुआ के लिए
जान जोखिम में है इश्क की अदावत में
✍️..पंकज पाण्डेय ‘सावर्ण्य’