” आओ मेरे प्यारे लल्ला ” !!
मेरी अँखियाँ करें इंतज़ार ,
आओ मेरे प्यारे लल्ला !!
दूध बिलोया माखन काढ़ा !
मेहनत का रंग होता गाढ़ा !
चखो माखन तो मेरो सरकार ,
चाहे फूटे ये मटकी हमार !
आओ मेरे प्यारे लल्ला !!
थोड़ा खाओ और बचाना !
हमें कंस को कर है चुकाना !
कब बदलेंगी किस्मत हमार ,
बन भी जाओ हमारे करतार !!
आओ मेरे प्यारे लल्ला !!
गैया , गोपी तके राह है !
जी भर देखें यही चाह है !
बिना दर्शन है कहाँ उद्धार ,
बड़ो नटखट है कान्हा हमार !
आओ मेरे प्यारे लल्ला !!
मुख खोला तो जग दिखलाया !
मैया भूली मन हरषाया !
हमें आनंद मिला है अपार ,
झूमे खुशियाँ हैं हर घर द्वार !!
आओ मेरे प्यारे लल्ला !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )