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23 Oct 2024 · 1 min read

आओ फिर गीत गंध के गाएं

प्रण के उपवन में
आओ फिर गीत गंध के गाएं।
श्वासों का संगीत सुनें फिर
प्राणों को बहलाएं।।

रूठा है क्यों?, आज समर्पण
आत्म भाव के पथ पर
सहमा सहमा सा बैठा है
एहसासों के रथ पर।
दिव्य चेतना भर आंखों में
पल पल को समझाएं।
प्रण के उपवन में आओ फिर
गीत गंध के गाएं।।

स्वप्न रसीले दस्तक देते
राह दिखाते मन की,
खुशियों के संवाद बांटते
सौगातें जीवन की।
करें समीक्षा अपने पन की
खुल कर फिर इठलाएं।
प्रण के उपवन में आओ फिर
गीत गंध के गाएं।।

सूर्य सुभाषित सुधियों के
आकाश हृदय में भर कर
देख रहा हूं आज स्वयं को
मैं दीवाना बन कर।
आओ पुण्य की परम चेतना
मौन हृदय से पाएं।
प्रण के उपवन में आओ फिर
गीत गंध के गाएं।।

सूर्यकांत

Language: Hindi
Tag: गीत
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