आओ छंद लिखे (चौपाई)
छंद के अंग होखत पूरा। स्वर ध्वनि शब्द न रहत अधूरा।।
पाद चरण सम बिषम ज्ञान से। गति यति मात्रा भार ध्यान से।।
त ‘यमाता राज भानस लगा’। छंद सूत्र यही पारस लगा।।
आठ गणों की सुंदर गणना। सहभागी सह लघु गुरु पढ़ना।।
यगण वचाल मगण पंचाली। तगण वागीश हो संथाली।।
रगण साधना जगण हरीशा। गायक भगण सुझाव मनीषा।।
नगण नमक व सगण सा कविता। उल्लेखित यह जानो सरिता।।
काव्य स्वरों का ज्ञान जभी हो। “चिद्रूप” लेखन कुशल तभी हो।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २७/११/२०१८)