आओ कान्हा
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आओ कान्हा
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माखन खाया खूब लुटाया , लेकर ग्वालों की टोली ।
वाणी से अमृत झरता था , मिसरी सी मीठी बोली ।।
दिया वचन था कुरुक्षेत्र में, अब तो सुन लोे करुण पुकार ।
भू का भार बढ़ा पापों से, कुछ तो हल्का कर दो भार ।।
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जब अच्छे दिन आयेंगे ।
मिल कर खुशी मनायेंगे ।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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