आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर
तक़दीर साथ देती मगर, शायद तदबीर ज़्यादा हो गया,
ख़ुदा भी उसी का है आजकल, जो अमीर ज़्यादा हो गया।
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बेईमानी, हेरा-फेरी, चोरी-डकैती का बोलबाला देखिए,
जो कायदे-कानून का पाबंद है, वो ग़रीब ज़्यादा हो गया।
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जिस्म-फ़रोशी काबिज़ है, क़ाज़ी से लेकर मुसिफ़ तक,
जो काले धंधों से तरक़्की किया, वो नज़ीर ज़्यादा हो गया।
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रिश्वतखोरों सफ़ेदपोशों की असलियत, क्या-क्या बताएं,
जिसका ख़ूब चले गोरखधंधा, वो वज़ीर ज़्यादा हो गया।
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आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर,
कलियुग में जो जिगर साफ़, वो फ़क़ीर ज़्यादा हो गया।