आऊँगा कैसे मैं द्वार तुम्हारे
मैं आऊंगा कैसे द्वार तुम्हारे।
नहीं मेरा सम्मान द्वार तुम्हारे।।
तुम मुझसे नहीं करते हो बात।
नहीं मेरा स्वागत द्वार तुम्हारे।।
मैं आऊंगा कैसे—————-।।
इतनी देर तेरे घर पर रुका।
तुमने नहीं मेरा हाल पूछा।।
ना मुझको तूने पिलाया पानी।
आई शर्म मुझको द्वार तुम्हारे।।
मैं आऊंगा कैसे—————-।।
इंतजार तुम्हारा वहाँ करता रहा।
तू इधर उधर मुझसे छुपता रहा।।
जैसे कि मैं हूँ तुम्हारा गुलाम।
यह आया ख्याल द्वार तुम्हारे।।
मैं आऊंगा कैसे—————-।।
तुम्हारी नीयत वैसे अच्छी नहीं।
जुबान- वफ़ा तेरी सच्ची नहीं।।
मैं सच कहूँ तू एक सौदागर है।
लूट सकता है तू द्वार तुम्हारे।।
मैं आऊंगा कैसे—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)