Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 1 min read

आई तेरी याद तो,

आई तेरी याद तो,
हरे हुए सब घाव ।
अनायास होने लगा,
नयनों से फिर स्राव ।।

सुशील सरना / 27-5-24

71 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जब याद सताएगी,मुझको तड़पाएगी
जब याद सताएगी,मुझको तड़पाएगी
कृष्णकांत गुर्जर
ऊपर बैठा नील गगन में भाग्य सभी का लिखता है
ऊपर बैठा नील गगन में भाग्य सभी का लिखता है
Anil Mishra Prahari
If he could do it, so can you.
If he could do it, so can you.
पूर्वार्थ
उम्र ज्यादा नहीं है,
उम्र ज्यादा नहीं है,
Umender kumar
3666.💐 *पूर्णिका* 💐
3666.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
Sunil Maheshwari
मत गमों से डर तू इनका साथ कर।
मत गमों से डर तू इनका साथ कर।
सत्य कुमार प्रेमी
चाय और सिगरेट
चाय और सिगरेट
आकाश महेशपुरी
भावनात्मक निर्भरता
भावनात्मक निर्भरता
Davina Amar Thakral
खुद को भी
खुद को भी
Dr fauzia Naseem shad
सनातन के नाम पर जो स्त्रियों पर अपने कुत्सित विचार रखते हैं
सनातन के नाम पर जो स्त्रियों पर अपने कुत्सित विचार रखते हैं
Sonam Puneet Dubey
देश आपका
देश आपका
Sanjay ' शून्य'
मजदूर दिवस पर एक रचना
मजदूर दिवस पर एक रचना
sushil sarna
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
"जलने के बाद"
Dr. Kishan tandon kranti
"चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गर
गुमनाम 'बाबा'
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
Chaahat
इशारा नहीं होता
इशारा नहीं होता
Neelam Sharma
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
कवि रमेशराज
"हर बाप ऐसा ही होता है" -कविता रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
ट्रेन संख्या १२४२४
ट्रेन संख्या १२४२४
Shashi Dhar Kumar
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
Phool gufran
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
Rj Anand Prajapati
तिनका तिनका सजा सजाकर,
तिनका तिनका सजा सजाकर,
AJAY AMITABH SUMAN
।। धन तेरस ।।
।। धन तेरस ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मन  के बंद दरवाजे को खोलने के लिए
मन के बंद दरवाजे को खोलने के लिए
Meera Thakur
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
Shweta Soni
Loading...