आईना सा हो गया, उनका भी किरदार
आईना सा हो गया, उनका भी किरदार !
आया जो भी सामने,हुआ उसी का यार !!
चाहे चौॆथी फेल हो,या हो वो विद्वान !
पाए सबसे मान वो,ऐसी हो पहचान !!
खूबी कोई देखकर, ..जग हित की इंसान !
रख ले पलकों पर जगत, ऐसी हो पहचान !!
खेतों में हल हैं नहीं, ट्रेक्टर करते राज !
बूचड़खाने में सभी, बैल खड़े हैं आज !!
रमेश शर्मा.