Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2022 · 1 min read

आईना सच अगर दिखाता है

देखने से गुरेज़ करते हैं ।
आईना सच अगर दिखाता है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
13 Likes · 269 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

जहां काम तहां नाम नहि, जहां नाम नहि काम ।
जहां काम तहां नाम नहि, जहां नाम नहि काम ।
Indu Singh
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति पहचानो
Sarla Mehta
गीत- सवालों में ज़वाबों में...
गीत- सवालों में ज़वाबों में...
आर.एस. 'प्रीतम'
अर्थ मिलते ही
अर्थ मिलते ही
Kshma Urmila
सेवा निवृत काल
सेवा निवृत काल
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*जमीं भी झूमने लगीं है*
*जमीं भी झूमने लगीं है*
Krishna Manshi
टेलिस्कोप पर शिक्षक सर्वेश कांत वर्मा जी और छात्रों के बीच ज्ञानवर्धक चर्चा
टेलिस्कोप पर शिक्षक सर्वेश कांत वर्मा जी और छात्रों के बीच ज्ञानवर्धक चर्चा
Dr Nisha Agrawal
, गुज़रा इक ज़माना
, गुज़रा इक ज़माना
Surinder blackpen
चाहतें
चाहतें
Dr.Pratibha Prakash
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
गृहणी का बुद्ध
गृहणी का बुद्ध
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
अमित
अमित
Mamta Rani
कुमार ललिता छंद (वार्णिक) 121 112 2 7
कुमार ललिता छंद (वार्णिक) 121 112 2 7
Godambari Negi
मानसून को हम तरसें
मानसून को हम तरसें
प्रदीप कुमार गुप्ता
सारे शब्द
सारे शब्द
Shweta Soni
रिश्ते
रिश्ते
Dr fauzia Naseem shad
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
काम वात कफ लोभ...
काम वात कफ लोभ...
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मनुवा तेरे
मनुवा तेरे
Santosh kumar Miri
मतदान
मतदान
Shutisha Rajput
मन
मन
आकाश महेशपुरी
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
Rj Anand Prajapati
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___
पूर्वार्थ
दिल
दिल
Dr Archana Gupta
4139.💐 *पूर्णिका* 💐
4139.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ये  बेरुखी  अच्छी  नहीं  बातें  करो।
ये बेरुखी अच्छी नहीं बातें करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हम तुम्हारे साथ हैं
हम तुम्हारे साथ हैं
विक्रम कुमार
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
ग्यारह होना
ग्यारह होना
Pankaj Bindas
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
Ravi Prakash
Loading...