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22 Dec 2021 · 1 min read

आईना पर चन्द अश’आर

न टूटकर ये फिर जुड़ा कभी
मिरा ये दिल था आईना कोई
•••
आईना टुकड़ों में बिखरा है यारो
फिर कहीं दिल कोई टूटा है यारो
•••
आईना देख, हैरां हूँ मैं आज फिर
शख़्स ये अजनबी,कौन है रू-ब-रू
•••
आई’ना टूटकर जिस तरह बिखरा है
क्या कभी आपका दिल भी यूँ टूटा है
•••
देखकर आईना, याद फिर आई ना
टूटकर हिज़्र में, रो पड़ा आई’ना*
•••
__________________
*अन्तिम शे’र में दूसरी पँक्ति के अंत में “आई’ना” बहुअर्थी है। यहाँ आई’ना— दर्पण (आई’ना) के लिए भी है और विरहा में डूबे (टूटे) प्रेमी के लिए (आई ना) भी।

Language: Hindi
Tag: शेर
4 Likes · 4 Comments · 612 Views
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