आइना दिल का
आइना दिल का- ग़ज़ल कोमल काव्या
आइना दिल का टूटा हुआ है, हमसे हर शख्स रूठा हुआ है.
अब भरोसे की बातें न छेदों, हर किसी ने तो लूटा हुआ है.
क्या करेंगे किसी से शिकायत क्या करेंगे किसी से तकाजा
तुमने छोड़ा उसी मोड़ पर ही जिस पे चलने को थे तुम अमादा
अब के बिछड़े मिलें फिर कभी ना , हाथ से हाथ छूता हुआ है.
आईना दिल का टूटा हुआ है । । ।
उनको है रौशनी की जरुरत, हम अंधेरों के घर मे पालें हैं
आखरी अलविदा कह इसी से हम तो अंतिम सफ़र पे चलें हैं.
तिस्नगी की खलिश रह गयी है सब सरोकार झूठा हुआ है.
आईना दिल का टूटा हुआ है । । ।
कितने सस्ते में देखो बिका है प्यार रिश्तो की मंदी में कोमल
सब के सब हैं रबड़ के से पुतले , नहीं जिनमे थोड़ी भी हलचल
सब ये सोचें की जिंदा हूँ अब तक कत्ल कैसा अनूठा हुआ है.
आइना दिल का टूटा हुआ है, हमसे हर शख्स रूठा हुआ है
अब भरोसे की बातें न छेदों , हर किसी ने तो लूटा हुआ है.