आंसू
विधा-मुक्तक
खुशी में भी आंसू निकल जाते हैं
दुःख में तो और भी पिघल जाते हैं
जी भर के रो लिया करो कभी- कभी
रोने से मन मौसम बदल जाते हैं।
आंसू गम में बेवफा हो जाते हैं
आंखों के लिए सफा हो जाते हैं
मुश्किल लम्हें झेलते-झेलते ये तो
हमेशा के लिए खफा हो जाते हैं।
औलाद जब पहली बार मां कहे
आंखों में प्रेम की आंसू छलके
लगा गले कलेजे के टुकड़े को
पीठ पर दूं थपकी हल्के-हल्के।
नूरफातिमा खातून “नूरी”
जिला-कुशीनगर