आंसुओं का मंजर है देखा
**** आंसुओं का मंजर है देखा ****
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आंखों में आंसुओं का मंजर है देखा,
टूटा दिल प्यार में जो बंजर है देखा|
फूलों से खूब खिलते मुरझाये उपवन,
मौसम भी लाजवाबी अंदर है देखा|
मन की बागवानी मौजी के हाथों में,
तितली पर लूटता यूं भंवर है देखा|
आंचल में कूदता रहता मोहन हरदम,
हमने तो आशिकों सा बंदर है देखा|
पागल सा हाल है मनमौजी प्रेमी का,
पावन सा प्रेम का भी मंदिर है देखा|
नभ में है टूटते तारों सा मनसीरत,
उनकी तकदीर में अब नंबर है देखा|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)