आंधी है नए गांधी
आंख मारते है कभी, कभी गले लगाते हैं।
युवा बहन के गाल चूम, भी न शरमाते हैं।।
चमचे उनको ही, भावी पीएम बतलाते हैं।
संसद में जो सबको, उड़ता चुम्मा देजाते हैं।।
है वह इतने सिद्ध संत, आलू से सोना बनाते हैं।
वह बहके हुए पुराने हैं, औरों को भी बहकाते हैं।।
क्या लगता है मित्रों, ये जीवन मे कुछ कर पाएंगे।
या मम्मी वाले धंधे को, दोनों मिलकर अपनाएंगे।।
जय हिंद