आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
बंद कमरे में मां के, गर्म हवा के तीर।
देख हवा रोने लगी, किया ईश प्रणाम
बोली ममता प्यार से, शीतल यहां समीर।।
सूर्यकांत
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
बंद कमरे में मां के, गर्म हवा के तीर।
देख हवा रोने लगी, किया ईश प्रणाम
बोली ममता प्यार से, शीतल यहां समीर।।
सूर्यकांत