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21 Aug 2023 · 1 min read

आंख में बेबस आंसू

सरहद आंख की ,
कोरों की, तोड़ चले
आखिर आंसू बोल पड़े

बहुत अरसे से जमी थी
बर्फ इन किनोरों पर
जरा सी हमदर्दी मिली
पिघले सब्र छोड़ चले

डा राजीव “सागरी”

Language: Hindi
324 Views
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