आंखों से पिलाते हुए वो रम चली गई।
आंखों से पिलाते हुए वो रम चली गई।
ख्वाबों में बजाते हुए छम छम चली गई।
करते हकीम गांव में कमजोरी का इलाज,
पर छोड़ उनको उनकी ही बेगम चली गई
कवि सचिन मिश्र
आंखों से पिलाते हुए वो रम चली गई।
ख्वाबों में बजाते हुए छम छम चली गई।
करते हकीम गांव में कमजोरी का इलाज,
पर छोड़ उनको उनकी ही बेगम चली गई
कवि सचिन मिश्र