आंखों पर पट्टी, होठों पर मौन जड़ गया ।
आंखों पर पट्टी, होठों पर मौन जड़ गया ।
आदमी, आदमियत के, बहुत नीचे गड़ गया ।।
“तमन्ना” न जाने कि, दोष किसका है ,
पर ये सच है कि , बागबां के हाथों ही गुलिस्तां उजड़ गया ।।।
आंखों पर पट्टी, होठों पर मौन जड़ गया ।
आदमी, आदमियत के, बहुत नीचे गड़ गया ।।
“तमन्ना” न जाने कि, दोष किसका है ,
पर ये सच है कि , बागबां के हाथों ही गुलिस्तां उजड़ गया ।।।