” आँसू की परवाह नहीं ” !!
प्रस्तर हृदय तुम्हारा ऐसा ,
आँसू की परवाह नहीं !!
मन की व्यथा कभी न बाँची ,
खुशबू से बस नाता है !
एक बार जो वरण हुआ तो ,
कहाँ टूटता नाता है !
अपनी चाह प्रबल समझे हो ,
दूजे मन की थाह नहीं !!
सुमन सौंप दिये , इच्छाएं भी ,
मुस्कानें न्यौछावर है !
तेरा दुख मेरा दुख अब तो ,
जीवन तो यायावर है !
सुख की छाया भी अधीन है ,
रखी दूजी चाह नहीं !!
मेरे अपने , पीछे छूटे ,
अपना सब कुछ छूट गया !
नाता जोड़ा तुमसे ऐसा ,
यादें सारी लूट गया !
मंजिल अपनी एक ही जानी ,
चाहे दुष्कर राह यही !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )