Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2016 · 1 min read

आँगन में तुलसी खड़ी,गलियारे में नीम (दोहे)

आँगन में तुलसी खड़ी,गलियारे में नीम !
मेरे घर में हीं रहें, दो दो वैद्य हकीम !!
…………………………..
क्या धनमंतर वैद्य हो, क्या लुकमान हकीम।
दोनों सिर-माथे चढ़ी,… रही हमेशा नीम॥
……………………………..
रसा-बसा है नीम में,…औषधि का भंडार।
मानव पर इसने किए, कोटि-कोटि उपकार!!
……………………………
लगा नीम का वृक्ष है, जिसके घर के पास।
जहरीले कीडे वहां,… करते नहीं निवास॥
……………………………
दंत-सफ़ाई के लिए, मिले मुफ़्त दातून।
पैसों का होता नहीं, जिसमें कोई खून॥
…………………………….
कडुवी है तो क्या हुआ, गुण तो इसके नेक।
नीम छाँव में बैठे के,.. जाग्रत करो विवेक॥
रमेश शर्मा

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 1926 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अब मैं
अब मैं
हिमांशु Kulshrestha
पधारो मेरे प्रदेश तुम, मेरे राजस्थान में
पधारो मेरे प्रदेश तुम, मेरे राजस्थान में
gurudeenverma198
अब लगती है शूल सी ,
अब लगती है शूल सी ,
sushil sarna
मायने मौत के
मायने मौत के
Dr fauzia Naseem shad
इश्क़ में हम कोई भी हद पार कर जायेंगे,
इश्क़ में हम कोई भी हद पार कर जायेंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चला गया
चला गया
Mahendra Narayan
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
Sanjay ' शून्य'
लपेट कर नक़ाब  हर शक्स रोज आता है ।
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
Ashwini sharma
2990.*पूर्णिका*
2990.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रंग जाओ
रंग जाओ
Raju Gajbhiye
*नारी*
*नारी*
Dr. Priya Gupta
तुम इतने आजाद हो गये हो
तुम इतने आजाद हो गये हो
नेताम आर सी
कभी कभी
कभी कभी
surenderpal vaidya
स्वाधीनता के घाम से।
स्वाधीनता के घाम से।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
बांस के जंगल में
बांस के जंगल में
Otteri Selvakumar
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
डॉ.सीमा अग्रवाल
महिमा है सतनाम की
महिमा है सतनाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*गाओ हर्ष विभोर हो, आया फागुन माह (कुंडलिया)
*गाओ हर्ष विभोर हो, आया फागुन माह (कुंडलिया)
Ravi Prakash
■ 80 फीसदी मुफ्तखोरों की सोच।
■ 80 फीसदी मुफ्तखोरों की सोच।
*प्रणय*
"अवशेष"
Dr. Kishan tandon kranti
अब वो मुलाकात कहाँ
अब वो मुलाकात कहाँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
अन्तर्मन
अन्तर्मन
Dr. Upasana Pandey
लिखा भाग्य में रहा है होकर,
लिखा भाग्य में रहा है होकर,
पूर्वार्थ
मोहब्बत में इतना सताया है तूने।
मोहब्बत में इतना सताया है तूने।
Phool gufran
शीर्षक: बाबुल का आंगन
शीर्षक: बाबुल का आंगन
Harminder Kaur
मछली रानी
मछली रानी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जिद बापू की
जिद बापू की
Ghanshyam Poddar
Loading...