आँखों से जो टपका अश्क
आँखों से जो टपका अश्क
वो चुन लिया मैंने
तेरे सारे तानों-बानों को
सुन लिया मैंने
दर्द जो अश्कों में समाया
तेरा अपने दिल जिगर में
तेरे होंठों के रस्ते
संजो लिया मैंने
अब यही दर्द
मेरी मल्कियत भी है
और
खज़ाना भी
अब
मेरे खजाने में से
हिस्सा मत मांग लेना